हनुमनथप्पा को किडनी देना चाहती है महिला

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हनुमनथप्पा कोपड़ का दिल्ली के आर्मी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। पूरा देश उनकी जिंदगी की सलामती की दुआएं मांग रहा है। इस बीच उनकी जिंदगी की खातिर एक महिला ने अपनी किडनी देने की पेशकश की है। महिला ने एक न्यूज चैनल की हेल्पलाइन में फोन कर यह पेशकश की है। टीवी पर हनुमनथप्पा के बारे में यह खबर देखकर निधि पांडे ने अपनी किडनी देने की पेशकश कर दी। मंगलवार रात कई चैनल सियाचिन के सैनिकों की खातिर अपनी हेल्पलाइन चला रहे थे। इसी पर फोन कर निधि ने यह पेशकश की।

गौर हो कि सियाचिन में देश की हिफाजत को तैनात लांसनायक हनुमनथप्पा 6 मीटर बर्फ में दबकर भी जिन्दा मिले हैं, लेकिन उनकी हालत बेहद खराब है। 6 दिन यानी 144 घंटे तक 35 फीट मोटी बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी हनुमनथप्पा जिंदा हैं। लेकिन उनकी हालत बेहद गंभीर है। दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। उनके लिए देशभर में दुआएं मांगी जा रही हैं।

हनुमनथप्पा को तरल पदार्थ, रक्त चाप सामान्य करने की दवाएं और एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं। हनुमनथप्पा को वेंटीलेटर पर रखा गया है ताकि कोमा की हालत में उनके फेफड़े काम करते रहें। उनके लिए अगले 24 घंटे बहुत अहम हैं। जवान हनुमनथप्पा को बचाने के लिए देशभर में दुआएं और पूजा पाठ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी विशेष पूजा अर्चना की गई। जम्मू में भी पूर्व सैनिकों और बच्चों ने सियाचन में शहीद हुए जवानों को श्रदांजिल दी और जीवित बचे जवान लांस नायक हनुमनथप्पा की लंबी ऊम्र की कामना की। अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनकी लंबी उम्र की कामना की।

सियाचिन ग्लेशियर में एक सप्ताह पहले बर्फ खिसकने से 30 फुट नीचे दबे रहने के बाद जीवित निकाले गये लांस नायक हनमंथप्पा कोप्पाड जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोप्पाड को मंगलवार को सियाचिन ग्लेशियर से यहां आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल लाया गया और अस्पताल के अनुसार वह कोमा में हैं और उनकी हालत अत्यंत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने अस्पताल जाकर बहादुर सैनिक से मुलाकात की और देश से उनके जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करने को कहा।

कल 150 से ज्यादा सैनिकों और दो खोजी श्वानों- डॉट तथा मीशा के दल ने कोप्पाड को 20,500 फुट की उंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर में बर्फ के नीचे से निकाला। उन्हें वायु सेना के एक विमान द्वारा यहां लाया गया जिसके साथ वायु सेना के एक गहन चिकित्सा विशेषज्ञ और सियाचिन आधार शिविर के एक चिकित्सक भी थे। पहले अधिकारियों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार सौभाग्य से लांस नायक के शरीर पर सर्दी की वजह से कोई चोट या हड्डियों को कोई चोट नहीं पहुंची है। गौर हो कि ग्लेशियर में विशेष रूप से प्रशिक्षित दलों समेत 150 से अधिक प्रशिक्षित सैनिकों को हिमस्खलन के स्थान पर भेजा गया और प्रतिकूल परिस्थितियों में पूरे समय बचाव अभियान चलाया गया जहां दिन का औसत तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे और रात में शून्य से 55 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। सियाचिन दुनिया का सबसे कठिन युद्धक्षेत्र है जहां मौसम की विपरीत परिस्थतियों के कारण दुश्मन की गोली से भी ज्यादा जवान मारे जाते हैं।