
आषाढ़ मास (ashadh month) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के रूप में मनाते हैं। इस खास मौके पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा (Vyasa Purnima) भी कहा जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में कुल पुराणों की संख्या 18 है। इन सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा आज मनाई जा रही है। हिंदू धर्म ग्रंथों में गुरु को गोबिंद {भगवान} से ऊंचा स्थान दिया गया है. क्योंकि गुरु ही भगवान की प्राप्ति का मार्ग बताता है जिस पर चलकर व्यक्ति अपने लोक और परलोक दोनों को सुन्दर बना पाता है. एक गुरु ही है, जो अपने शिष्य को गलत मार्ग पर जाने से रोकता है और उसे सही मार्ग बताता है और उसपर जाने के लिए प्रेरित करता है.
आज के दिन सायं काल तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. मांस मदिरा आदि जैसे तामसिक प्रवृति वाले भोजन का भूलकर भी उपयोग नहीं करना चाहिए।