
आज अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तथा गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) दोनों हैं। हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रुप मे मनाया जाता है। कई लोग इसे अनंत चौदस के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का व्रत रखकर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन का एक और खास महत्व है। दस दिन तक गणपति को घर या मंदिर में रखने के बाद आज ही के दिन गणपति का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो लोग व्रत रखकर अपनी कलाई पर धागा बांधते हैं उन्हें सौभाग्य ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें 14 गांठे लगाई जाती हैं। इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद उसे कलाई पर बांधा जाता है। भगवान विष्णु का रूप माने जाने वाले इस धागे को रक्षासूत्र भी कहते हैं। ये 14 गांठे भगवान श्री हरि के 14 लोकों की प्रतीक मानी जाती हैं।