टिकटॉक पर रूस-यूक्रेन के युद्ध फ़र्ज़ी कंटेंट लगातार जारी

टिकटॉक भारत मे बैन है और यह सभी जानते हैं। लेकिन टिकटॉक पर अन्य सौ करोड़ से अधिक यूज़र हैं जिनमें आधे से अधिक की उम्र 30 साल से कम है। टिकटॉक एक ऐसी जगह बन गया है जहां बहुत से युवा रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में जानकारी ले रहे हैं। और ऐसे मे टिकटॉक भी फर्ज़ी जानकारियों से निबटने की कोशिशें कर रहा है।

टिकटॉक पर फ़र्ज़ी कंटेंट खोजने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। न्यूज़गार्ड ऑनलाइन भ्रामक जानकारियों पर नज़र रखने वाली एक वेबसाइट है (NewsGuard is a website for tracking deceptive information online) न्यूज़गार्ड की एक जांच के मुताबिक टिकटॉक पर जुड़ने के 40 मिनट के अंदर यूज़र को फ़र्ज़ी कंटेंट (fake content)  सुबहा के नाश्ते कि तरह परोस दिया जाता है।

फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर (Facebook, Instagram, Twitter) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म युद्ध (social media platform war) के बारे में फ़र्ज़ी जानकारियों और वायरल वीडियो पर लेबल लगा देते हैं। लेकिन टिकटॉक कंपनी का दावा है कि भ्रामक जानकारियों को रोकने के लिए उसने प्रयास तेज़ किया हुआ हैं।

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युद्ध के शुरुआती दिनों से ही टिकटॉक पर फ़ेक लाइवस्ट्रीम को सर्वाधिक व्यू मिल रहे हैं।

इसका तरीका बिलुकल आसान है. यूज़र किसी पुराने संघर्ष या फिर सैन्य अभ्यास का कोई नाटकीय वीडियो खोजता है, इस पर किसी भीषण धमाके या भारी गोलीबारी का फ़र्ज़ी ऑडियो चिपका देता है और लाइवस्ट्रीम शुरू कर देता है। एक बार जब लाइवस्ट्रीम के साथ ठीकठाक संख्या में लोग जुड़ जाते हैं तो उनसे चैनल के लिए पैसा मांगा जाता है।

मध्य मार्च तक ऐसे ही एक वीडियो पर तीन करोड़ व्यू आऐ थे। तब तक इस अकाउंट पर पोस्ट किए  गए तीन वीडियो को छोड़कर बाकी सभी वीडियो यूक्रेन की सेना के युद्धाभ्यास से लिए गए थे। इसका वीडियो 2017 में यूट्यूब पर पोस्ट किया गया था।