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हाथरस मामले (Hathras Case) में सोशल मीडिया से लोगों को भड़काने की साजिश का पता चला है (Provoke people through social media)। उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि हाथरस मामले में लोगों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। सरकार के अनुसार इसके लिए फर्जी वेबसाइटें (Fake Websites) तैयार की जा रही हैं। चूंकि पीड़िता एक दलित थी और आरोपी स्वर्ण जाति के हैं, इसलिए इन वेबसाइटों के सहारे लोगों को जाति के आधार पर उकसाया जा रहा है। इन्हीं में से एक वेबसाइट ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ नाम से पकड़ी गई है, जिससे यह जानकारी हासिल हुई है। जैसे ही यह पता चला कि सरकार ने इस वेबसाइट को पकड़ लिया है, इसके तुरंत बाद ही ऐसी कई वेबसाइट खुद ही बंद हो गई हैं। लेकिन सरकार की सुरक्षा एजेंसियों के पास इन सभी वेबसाइट के कंटेंट उपलब्ध हैं। ऐसे में उन पर भी कार्रवाई होना संभव है। उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि इस तरह की वेबसाइटों का मुख्य उद्देश्य सरकार की छवि को खराब करना है।