हमारे देश में लोग खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं। तरह-तरह के मसालों और उनसे बनने वाले व्यंजनों के जायके लोगो की जिंदगी को पूरा करती हैं। बात रोटियों की हो तो पराठा, नान और कुलचे के साथ ही अलग-अलग तरह की रोटियां हमारे यहां खाई और खिलाई जाती हैं। हर रोटी, पराठा और कुलचा अपने अलग फ्लेवर के साथ आता है। देश में खाने के शौकीनों की ही देन है कि कई शहरों में इन व्यंजनों के नाम पर सड़कों और गलियों के नाम भी हैं, जैसे पराठा गली या पेड़ा गली। नान एक ऐसी चीज है जिसकी शुरुआत सैकड़ों साल पहले हो गई थी। नान की ही तरह दिखने वाला होता है कुलचा। कुलचा, नान से अधिक क्रंची होता है और ये स्टफ्ड भी होता है। कुलचे का एक प्रकार है अमृतसरी कुलचा, जो खाने में बेहद टेस्टी होता है। अमृतसरी कुचला देश भर में बेहद फेमस है, आइए इस कुलचे से जुड़ी दिलचस्प बातें जानते हैं।
कहां से आया अमृतसरी कुलचा
सिंधु घाटी सभ्यता के समय से तंदूर के तकनीक का उपयोग किया जाता रहा है। नान को स्टफिंग के साथ बनाया जाए तो ये कुलचा कहा जाता है। ये माना जाता है कि नान पर्सिया से भारत में आया। नान का इतिहास तो पुराना है ऐसे में नान कब स्टफ्ड कुलचे में बदला इसे लेकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी अनाम रसोई में रसोइए ने रोज-रोज नान से बोर होकर इसमें कुछ मसाले और सब्जियां ऐड करने का फैसला लिया और इसी के साथ कुलचा बनाया जाने लगा।
ऐसा है कुलचे का इतिहास
अमृतसर और कुलचा के बीच संबंध कम से कम 200 साल पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजी अधिकारियों के फ्रांसीसी रसोइयों ने सात-परत पेस्ट्री तकनीक की शुरुआत की थी कुलचे का ऐसा आकर्षण है कि आज यह पूरे देश में लोकप्रिय है। यहां तक कि शाहजहां को भी नान और कुलचे बहुत पसंद थे और हैदराबाद के नवाब ने सात कुलचे से अपना कोट ऑफ आर्म्स बनाया था।
अमृतसरी कुलचा आज इतना फेमस है कि देश के हर कोने में लोग इसे खाना पसंद करते हैं। दिल्ली में छोले कुलचे खाने का क्रेज है तो वहीं हैदराबाद में लोग चिकन के साथ कुलचे का मजा लेते हैं। नॉर्थ में कुलचे को कढ़ाई पनीर के साथ खाना पसंद किया जाता है।