
संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली ज्यूरी ने सर्वसम्मति के साथ गीता प्रेस का चयन गांधी शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में करने का निर्णय लिया. गीता प्रेस की स्थापना1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है. गीता प्रैस द्वारा 14 भाषाओं में लगभग 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की गईं हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार जीतने के लिए गीता प्रेस को बधाई दी और क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की, तो दूसरी तरफ गीता प्रेस गोरखपुर को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के लिए कांग्रेस ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार का यह निर्णय उपहासपूर्ण और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार की आलोचना करते हुए एक ट्वीट में लिखा कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है. अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023