डेटा साइंटिस्ट की इन दिनों मांग बढ़ती जा रही हैं। नैसकॉम ने कहा है कि 2020 तक डेटा साइंस फील्ड में तीन लाख कुशल प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। ऐसे में कम्प्यूटर साइंस, कॉमर्स, मैथेमेटिक्स, स्टैटिस्टिक्स अौर इकोनॉमिक्स से जुड़े स्टूडेंट्स के लिए अच्छे अवसर आएंगे।मैक्किंजे ग्लोबल इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2018 तक अकेले अमेरिका में 1,40,000 से 1,80,000 डेटा साइंटिस्ट जॉब ओपनिंग्स आएंगी। भारत में भी यह जरूरत तेजी से बढ़ रही है।
नैसकॉम के अनुसार, अगले चार से पांच साल में डेटा साइंस फील्ड में नौकरियों के तीन लाख से भी अधिक अवसर आएंगे। हालांकि यहां भविष्य की ओर कदम बढ़ाने से पहले यह जान लेना बेहतर होगा कि आखिर बिग डेटा है क्या? बिग डेटा और एनालिटिक्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेक्नोलॉजी क्षेत्र के नए डोमेन हैं। मौसम की सूचनाएं एकत्रित करने के लिए लगे सेंसर्स से लेकर सोशल मीडिया पोस्ट, डिजिटल पिक्चर्स और वीडियो, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड्स, जीपीएस सिग्नल्स तक हर दिन अलग-अलग स्रोतों से भारी मात्रा में प्राप्त होनेवाला डेटा बिग डेटा है।
ईएमसी रिपोर्ट के मुताबिक 2011 तक ग्लोबली 1.8 जेटा बाइट्स डेटा उत्पादित व इस्तेमाल किया गया है। 2020 तक इसके 35 जेटाबाइट्स तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में 2020 तक डिजिटल इंफॉर्मेशन 40,000 पेटाबाइट्स से 2.3 मिलियन पेटाबाइट्स तक पहुंचेगी। इतने बड़े डेटा को मैनेज करने के लिए बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स की जरूरत है। यही वजह है कि डेटा साइंटिस्ट और एनालिस्ट प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ रही है।
प्रत्येक मिनट में नए डेटा बड़ी मात्रा उत्पन्न होते हैं। इन सूचनाओं को एनालिसिस करने का काम डेटा साइंटिस्ट करते हैं। उन्हें अलग-अलग डेटा पॉइंट्स से एक निष्कर्ष निकालना होता है ताकि बिजनेस से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकें।निजी कंपनियां और सरकारें वैश्विक स्तर पर बिग डेटा का इस्तेमाल नए बिजनेस अवसर पैदा करने व ग्रोथ के लिए कर रही हैं। ऐसे में डेटा मैनेजमेंट, डेटा क्वालिटी, गर्वनेंस, डेटा वेयरहाउजिंग और विजुअलाइजेशन सोल्यूशंस डेटा एनालिस्ट की जिम्मेदारी होते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो इंफॉर्मेशन का एनालिसिस और उसे उपयोगी फॉर्मेट में बदलने का काम डेटा साइंटिस्ट करते हैं।नैसकॉम व क्राइसिल ग्लोबल रिसर्च और एनालिटिक्स की साझा रिपोर्ट में 2012 में 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर वाली भारतीय बिग डेटा इंडस्ट्री के पिछले वर्ष तक 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है।
अलग-अलग सेक्टर्स में बिग डेटा एनालिटिक्स के बढ़ते इस्तेमाल ने न्यू मीडिया, बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, रिटल, टेलिकम्यूनिकेशन, ट्रैवल, मैन्यूफैक्चरिंग, एजुकेशन, एनर्जी सेक्टर्स जैसे क्षेत्रों में डेटा साइंटिस्ट की मांग बढ़ाई है।आने वाले सालों में इस मांग में तेजी से बढ़ोतरी होगी। हेल्थ केयर, मैन्यूफैक्चरिंग, इंश्योरेंस और बैंकिंग सेक्टर इसके लिए टॉप रिक्रूटर्स होंगे। इंडस्ट्री सेक्टर्स के साथ-साथ एग्रीकल्चर व क्लीनिकल रिसर्च एरिया में भी इनकी जरूरत बढ़ेगी।
सफल डेटा साइंटिस्ट दो विषयों के मास्टर होते हैं- प्रोग्रामिंग व स्टैटिस्टिक्स। इसके साथ ही उनके पास मजबूत डोमेन नॉलेज भी होती है। यह करियर उन टेक्नोलॉजी सैवी लोगों के लिए है, जिनके पास अच्छी एनालिटिकल स्किल्स हैं। कम्प्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स के लिए यहां अच्छे अवसर हैं।
एनालिटिकल प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल सेलेकर आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग और लॉजिकल सोल्यूशंस तक पहुंचने की काबिलियत को यहां प्राथमिकता मिलती है। डेटा माइनिंग टेक्नीक्स, ऑपरेशनल मॉडल्स तैयार करने की काबिलियत, अलग-अलग सोर्सेज से डेटा एनालाइज करने की खूबी, विजुअलाइजेशन स्किल्स के साथ-साथ प्रमुख ट्रेंड्स को समझने की क्षमता यहां जरूरी है।
केपीएमजी व सीआईआई की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां एनालिटिक्स का इस्तेमाल बिजनेस ग्रोथ, लागत में कमी, ऑपरेशनल एक्सीलेंस, बेहतर लोगों की नियुक्ति से लेकर अपने व्यवसाय की रणनीति बदलने के लिए कर रही हैं।टेलिकॉम सर्विसेज प्रोवाइडर कंपनियां प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स की मदद से यूसेज व चार्जिंग पैटर्न्स का विश्लेषण करती हैं।
ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों से लेकर ई कॉमर्स फर्म्स, कार मेकर्स तक सभी कंपनियां ऐसा करती हैं। ऑटोमोबाइल कंपनियां बड़े डेटा पूल्स की पड़ताल करती हैं ताकि दक्षता में सुधार हो, निरय्ण लेने की प्रक्रिया में तेजी आए और बिक्री बढ़े।
ऑनलाइन रिटेलर कंपनियां महत्वपूर्ण निर्णय एनालिटिक्स के आधार पर लेती हैं। सरकारी विभाग भी जैसे कि मौसम विभाग बिग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल बेहतरीन ढंग से कर रहे हैं।अच्छी बात यह है कि इस फील्ड में कंपनियां केवल इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के लोगों की तलाश में नहीं हैं।बिग डेटा और एनालिटिक्स के लिए टेक्नोलॉजी, कॉमर्स, मैथेमेटिक्स, स्टैटिस्टिक्स, इकोनॉमिक्स और इकोनोमेट्रिक्स की गहन समझ की जरूरत है।