
नदी और आवासीय (River and Residential) क्षेत्रों के समीप अब डेयरी और गौशाला (Dairy and Cowshed) खोलने की इजाजत नहीं है। गाय-भैंसों के मल-मूत्र से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, जिसको मद्देनजर रखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पहली बार इस विषय पर देश भर में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बोर्ड ने 12 प्रश्नों का एक दस्तावेज ‘गाइडलाइंस फॉर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डेयरी फार्म एंड गौशाला’ शीर्षक से जारी किया है। दिए गए दिशा-निर्देशों में पर्यावरण संरक्षण के लिए गाय-भैंस आदि के पर्यावरणीय प्रबंधन, मल-मूत्र के यथोचित निष्पादन, इनकी साफ-सफाई व बेहतर रखरखाव को अनिवार्य कर दिया गया है। इन सब की निगरानी की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व समितियों को दी गई है। जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार डेयरी और गौशाला अब गांव या शहर की सीमा से दूर ही खोले जा सकेंगे। आवासीय क्षेत्र से यह दूरी 200 मीटर व अस्पताल या स्कूल से 500 मीटर होगी, साथ ही साथ बाढ़ संभावित क्षेत्र में डेयरी नहीं खोली जाएगी। जहां पर भूजल 10 से 12 फीट की गहराई पर उपलब्ध होगा वहां भी प्रतिबंध रहेगा। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग से 200 मीटर और राजमार्ग से 100 मीटर के दायरे में भी इन्हें नहीं खोला जा सकेगा। इसके अतिरिक्त तालाब-कुएं से 100 मीटर, नदी से 500 मीटर और नहर से यह दूरी 200 मीटर की होनी अनिवार्य है।