
भगवान ‘भोलेनाथ’ (Bholenath) सभी सभी देवताओं से अलग हैं। वे सभी देवताओं के देव हैं। ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) एक विशेष पर्व है। इस दिन भगवान शिव का विवाह (Marriage of Lord Shiva) हुआ था। इस बार यह पर्व 21 फरवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। भक्तों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है। शिव ऐसे देवता हैं, जो जल्दी से प्रसन्न हो जाते हैं। इनकी वेशभूषा सभी देवी-देवताओं से अलग होती है। ये न तो सिर पर मुकुट धारण करते हैं और न ही लजीज भोग ग्रहण करते हैं। इनके शरीर पर भभूत, गले में सर्प और नरमुंड़ो की माला होती है। भगवान शिव का व्यक्तित्व विशाल होता है। वे काल से परे महाकाल हैं, सर्वव्यापी और सर्वग्राही हैं, देवताओं और असुरों के आराध्य हैं। भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित होता है। चंद्रमा को मन का कारक भी माना जाता है जिससे मन का नियंत्रण होता है। शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ था। ये 27 कन्याएँ ही नक्षत्र कहलाती हैं। भोलेनाथ के हाथों में हमेशा त्रिशूल होता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो उनके साथ ही रज, तम, सत तीनों गुण भी प्रकट हुए। यही तीनों गुण शिव के तीन शूल यानी ‘त्रिशूल’ बने। शिव के माथे पर गंगा जी भी विराजमान होती हैं। इसीलिए भोलेनाथ को कहते हैं, ‘देवों के देव महादेव’।