
सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दाखिल ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में हुई है। यह अर्जी BJP नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज करने की मांग की गई हैं। याचिका में कहा इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक- मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद वैध नहीं होती।
याचिका में कहा कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता। उपाध्याय ने याचिका में कहा कि उनका पक्ष भी सुना जाए और पक्षकार बनाया जाए। इससे पहले 2021 में उपाध्याय ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।
अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हस्तक्षेप याचिका में कहा है संविधान का अनुच्छेद 13 (2) राज्य को मौलिक अधिकारों को छीनने के लिए कानून बनाने पर रोक लगाता है, लेकिन 1991 का कानून हिंदुओं, जैन, बौद्ध, व सिखों के अधिकारों को छीनता है, जो बर्बर आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए अपने ‘पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों’ को वापस पाने की कोशिश करते हैं। इस कानून में भगवान राम के जन्मस्थान को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन इसमें भगवान कृष्ण का जन्मस्थान शामिल है। हालांकि दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं और पूरी दुनिया में समान रूप से पूजे जाते हैं।