
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार के लव जिहाद अध्यादेश (Love Jihad Ordinance) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है (Refuses to put stay)। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक डिविजन बेंच ने की। इसके लिए अदालत ने योगी सरकार से 4 जनवरी तक विस्तृत जवाब जमा करने को कहा है। वहीं इस अध्यादेश के खिलाफ अर्ज़ी लगाने वाले याचिकाकर्ताओं को 6 जनवरी तक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा गया है। इसके बाद इस मामले में अंतिम सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
दरअसल 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ एक कानून बनाया था। विवाह करने के लिए जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करने के मामलों पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश मंजूर किया गया था। इसके तहत दोषी व्यक्ति को 10 साल तक की कैद तथा जुर्माना हो सकता है। इस अध्यादेश को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को अपनी स्वीकृति दे दी थी।
वहीं इस लव जिहाद अध्यादेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने 4 अलग-अलग अर्जियां दायर की थीं। इनमें कहा गया था कि सरकार ने अपना राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इसे बनाया है। उन्होंने यह भी मांग की थी कि अब तक प्रदेश में लव जिहाद कानून के तहत जितने भी मामले दर्ज किे गए हैं, उनमें किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाए। इस मांग को भी अदालत ने खारिज कर दिया है।
दूसरी तरफ अपनी सफाई में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अदालत में बताया गया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस अध्यादेश को लाना जरूरी हो गया था। हालांकि आज के फैसले से यूपी सरकार को राहत मिली है।