जानिए किस माला का प्रयोग कौन से मंत्र के लिए करना चाहिए

जैसा कि हम अपने पिछले लेख में बता चुके हैं कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ और मंत्रों का बहुत महत्व है. हर देवी-देवता की अराधना के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है. हर मंत्र की जप संख्या विद्वानों द्वारा निर्धारित की गई है और इन मंत्रों की जप संख्या को याद रखने के लिए माला का प्रयोग किया जाता है. माला के दानों को मनका कहा जाता है. माला में 108 मनके होते हैं. मंत्र जप में प्रयोग होने वाली माला रुद्राक्ष के अलावा अन्य चीजों से भी बनाई जाती हैं जो वस्तुएं देवी-देवताओं को प्रिय मानी जाती है. चलिए जानते हैं कि मनवांछित फल पाने के लिए किस देवी-देवता के मंत्र जप के लिए कौन सी माला का प्रयोग करना शुभ होगा.

सबसे पहले बात करते हैं रुद्राक्ष की माला की

रुद्राक्ष के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं. हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान ​शिव के आंसुओं से हुई है. इसलिए शिव पूजा में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है. माना जाता हैं कि भगवान शिव को रूद्राक्ष बेहद प्रिय है इसलिए रुद्राक्ष के माला से भगवान शिव के मंत्रों का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है. रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय और मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की माला को धारण करने से व्यक्ति को कोई भय नहीं सताता. रुद्राक्ष की माला से अन्य देवी-देवताओं का मंत्र जाप भी किया जा सकता है.

स्फटिक की माला के महत्व को जानते हैं

स्फटिक की माला की माला से भगवान गणेश, माता सरस्वती के साथ ही मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप भी करना शुभ माना जाता है. कहते हैं स्फटिक की माला से जप करने से धनलाभ मिलता है. स्फटिक की माला क्रिस्टल से बनी होती है. ऐसी भी धारणा है कि स्फटिक की माला धारण करने से क्रोध में कमी आती है और एकाग्रता बढ़ती है.

क्या है तुलसी का माला का महत्व

जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है. मान्यता है कि भगवान विष्णु की साधना हमेशा तुलसी की माला के साथ ही करनी चाहिए. श्री विष्णु के अलावा उनके अवतारों भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु श्रीराम के मंत्रों का जप इस माला से करना शुभ माना जाता है. तुलसी की माला 108, 54 और 27 मनके की भी होती हैं, जिसका प्रयोग अलग-अलग मंत्रों के हिसाब से किया जाता है.

कमलगट्टे की माला से करें किसकी उपासना

कमलगट्टे की माला कमल के बीजों से बनती है इसका प्रयोग मां लक्ष्मी और मां दुर्गा के मंत्रों के शुभ फल प्राप्त करने के लिए किया जाता है. धन की देवी मानी जाने वाली मां लक्ष्मी के मंत्र जप में कमलगट्टे की माला का विशेष महत्व माना गया है. कारोबार में उन्नति और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी जी की पूजा में कमलगट्टे की माला का प्रयोग किया जाता है. तंत्र पूजा में भी कमलगट्टे की माला का प्रयोग विशेष महत्व रखता है.

कहां करें चंदन की माला का प्रयोग

चंदन की खुश्बु और चंदन से श्रंगार सभी देवी देवताओं को प्रिय है. वहीं चंदन की माला दो प्रकार की होती है एक लाल चंदन और दूसरी सफेद चंदन की. आदिशक्ति स्वरूप देवी के मंत्रों का जप करने के लिए लाल चंदन की माला का प्रयोग किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों के लिए सफेद चंदन की माला प्रयोग की जाती है.

कहां किया जाता है हल्दी की माला का प्रयोग

हिंदू धर्म में हल्दी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. हल्दी का प्रयोग हर धार्मिक कार्यक्रमों में तो किया ही जाता है साथ ही विवाह आदि शुभ कार्यों में भी इसका खास महत्व है. हल्दी की माला का प्रयोग भगवान गणेश के मंत्र जप के लिए किया जाता है. इसके अलावा हल्दी की माला शत्रु नाश के लिए बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी प्रयोग की जाती है. इसमें 108 मनके की माला का प्रयोग शुभ माना जाता है.

बिल्व की माला का महत्व

यदि आपकी कुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहे हैं तो शुभ फल प्राप्ति के लिए बेल(बिल्व) की लकड़ी से बनी माला से मंत्र जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है. बिल्व से बनी माला से सूर्य के मंत्र जप करने से शीघ्र ही अशुभ फलों में राहत मिलती है. मान्यता है कि बिल्व की लकड़ी से बनी माला माणिक्य की माला के समान ही शुभ फल प्रदान करती है.

वैजयन्ती की माला का महत्व

शास्त्रानुसार प्रभु श्रीकृष्ण को वैजयंती की माला अत्यंत प्रिय है. इसलिए वैजयंती की माला से जप करने से प्रभु श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा शनिदेव की साधना के लिए भी वैजयंती की माला शुभ मानी गई है. शनि ग्रह जनित दोष दूर करने और शनि देव की कृपा पाने के लिए इस माला से जप करना विशेष लाभदायक माना जाता है. इस माला को गले में धारण भी करने से भी शनि के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती हैं. शनिदेव की साधना के लिए भी इस माला का प्रयोग अत्यंत लाभदायक माना जाता है.

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