
रिश्वतखोरी (Bribery) से जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार (15 दिसंबर 2022) को एक अहम फैसाल सुनाया है। रिश्वत लेने या देने के मामलों में प्रत्यक्ष सबूत न होने पर भी सजा हो सकती है। सजा परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर हो सकती है। 5 जजों की संविधान पीठ ने माना है कि जांच एजेंसी की द्वारा जुटाए गए अन्य सबूत भी मुकदमे को साबित कर सकते हैं। फैसले के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, ”भ्रष्टाचार एक कैंसर है, जो सिस्टम के सभी हिस्सों को प्रभावित कर रहा है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ नरमी नहीं बरतनी चाहिए। भ्रष्ट अधिकारियों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार ने शासन को प्रभावित करने वाले एक बड़े हिस्से को ले लिया है। इसका असर ईमानदार अफसरों पर पड़ता है। एक जब उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है तो परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर भी एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को दोषी ठहराया जा सकता है।