धनतेरस क्यों है ख़ास और क्या है पूजा की विधि?

धनतेरस से पहले नवरात्रि आती है, फिर दशहरा और फिर दिवाली की धूम शुरू हो जाती है। दिवाली के त्यौहार की शुरुआत धनत्रयोदशी यानी धनतेरस से होती है। कैलेंडर के अनुसार, दिवाली से 2 दिन पहले धनतेरस आता है। धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस कृष्ण पक्ष के 13वें दिन आता है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इस दिन घर में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है। इतना ही नहीं इस दिन अकाल मृत्यु के लिए भी घर में दीपक जलाएँ जाते हैं। जो लोग व्यापार करते हैं या किसी न किसी तरह से व्यवसाय से जुड़े हैं, वे लोग इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। अगर कोई कुछ नया लेना चाहता है, चाहे वह वाहन हो, मशीन हो या सोना, चांदी, लोगों को इसे इस दिन ही खरीदना होता है। क्योंकि इस दिन यह सब खरीदना शुभ माना जाता है। कहते हैं इस दिन आप जो कुछ भी खरीदते हैं, उसमें वृद्धि होती है और साथ ही इससे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। कहा जाता है कि जब मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तो आपके घर आती हैं और वहां भंडार भरती हैं।

ऐसे मनाएं धनतेरस…

धनतेरस के दिन लोग अपने घर और ऑफिस को साफ सुथरा बनाते हैं। इस दिन घर और ऑफिस के मुख्य द्वार के सामने रंगोली बनाई जाती है और मिट्टी के दीये भी जलाए जाते हैं। इसके बाद भगवान की पूजा की जाती है। इसके बाद मुहूर्त के समय पूजा की जाती है। इस दिन दिवाली की पूजा के लिए गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों को भी लाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोने-चांदी के सिक्के खरीदने चाहिए और घर में कम से कम एक नया बर्तन जरूर आना चाहिए। लेकिन आज के दौर में लोग एक-दूसरे को गिफ्ट देना पसंद करते हैं। ज्यादातर लोग धनतेरस के दिन ही वाहन लेते हैं। देश में कई जगहों पर धनतेरस के दिन वाहन लेने के लिए दो से तीन महीने पहले ही बुकिंग करा ली जाती हैं।

जो लोग सच्चे मन और पूरी भक्ति से देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन लोग रात भर घर और ऑफिस में दीये जलाते हैं। महाराष्ट्र में धनिये के बीज और गुड़ का भोग लगाया जाता है, साथ ही गांव के कई लोग अपने पशुओं की पूजा करते हैं, क्योंकि पशु उनकी आय का स्रोत हैं।