
आज देश के महान सपूत (great son) और प्रथम स्वतंत्रता सेनानी (first freedom fighter) होने का गौरव प्राप्त करने वाले मंगल पांडे की 165वीं पुण्यतिथि (165th death anniversary) है। उन्होंने देश के लिए जो कुछ भी किया, उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल है। यहाँ तक कि आज का युवा उसे करने में सोच भी नहीं सकता है। मंगल पांडे के नाम से ही अंग्रेजों में दहशत फ़ैल जाती थी। खौफ का आलम यह था कि उन्हें सजा की तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी। मंगल पांडे को 18 अप्रैल, 1857 को फांसी होनी थी, मगर पांडे के खौफ के कारण उन्हें 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई। उन्होंने देशभर में जो देशभक्ती की अलख जगाई थी, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बैरकपुर जेल के जल्लादों ने भी उन्हें फांसी देने से इंकार कर दिया था।