
किसान आंदोलन (Farmers Movement) पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई (Supreme Court)। इसमें अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र जिस ढंग से इस मुद्दे का समाधान कर रही है, उससे हम खुश नहीं हैं। इसके लिए हम एक एक्सपर्ट कमेटी (Expert Committee) बनाना चाहते हैं, तब तक सरकार इन कानूनों को रोके, वरना हमें कार्रवाई करनी पडे़गी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है, जिन्हें इस कमेटी में शामिल किया जाएगा। अब यह कमेटी ही फैसला करेगी कि यह कृषि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं। इस मामले की कल फिर से सुनवाई होगी, जिसमें कमेटी बनाने पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार ने जो दलील दी है कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था, वह ठीक नहीं है। असली मुद्दा है कि सरकार कैसे इस समस्या का हल निकाल रही है। सरकार ने कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी रखने को कह रहे हैं। इस पर अदालत ने कहा कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं। किसान इसे जारी रख सकते हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है तो क्या किसान आंदोलन की जगह बदलेंगे? अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे। अगर किसान विरोध कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि सरकार उसका समाधान करे। हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अभी तक हमारे पास कोई भी ऐसी दलील नहीं आई है, जिसमें इन कृषि कानूनों की तारीफ की गई हो। सरकार इन कानूनों को रोके, नहीं तो हमें कोई कदम उठाना होगा। हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। लोग मर रहे हैं और कड़ाके की सर्दी में धरने पर बैठे हैं। महिलाओं और बुजुर्गों को वहां क्यों रोका जा रहा है। उनके खाने पीने का कौन ध्यान रख रहा है। इतनी ठंड में ऐसा क्यों हो रहा है?