दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल का आज छठा दिन

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दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल का आज छठा दिन है। छह दिनों से जारी नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से जगह-जगह गंदगी और कूड़ा फैला हुआ. शनिवार से ही एमसीडी के सात अस्पतालों और सभी डिस्पेंसरी के डॉक्टर और नर्स हड़ताल पर हैं.हड़ताल में सफ़ाईकर्मियों के शामिल होने की वजह से दिल्ली में जगह-जगह पर कूड़े का ढेर लगे हुए हैं.

ऐसे में बीजेपी और आप एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं और अब कांग्रेस भी इसमें कूद पड़ी है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों लोगों को बेवकूफ़ बनाने का काम कर रही हैं. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि निगमों को चाहिए कि वो इमरजेंसी फंड जारी करके कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करे.

जहां एक ओर आप का दावा है कि वो वेतन को लेकर फ़ंड जारी कर चुकी है, वहीं राजधानी के तीनों निगम इसे नाकाफ़ी बता रहे हैं.तीनों निगमों पर फिलहाल बीजेपी का कब्ज़ा है.इस बीच हड़ताली कर्मचारियों ने सोमवार को फैसला किया कि वे अपनी मांगों को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात करेंगे.

रविवार को दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की ओर से शहर के अलग-अलग हिस्सों में से कूड़ा उठवाया गया, लेकिन कूड़े से पटी राजधानी पर इसका ख़ास असर देखने को नहीं मिला. प्रदर्शन कर रहे सफ़ाईकर्मी फिलहाल अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं.दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा के नाम से एक पोस्टर लगा है.

पोस्टर पर लिखा है कि ‘अगर मेरे घर के सामने कूड़ा फेंकने से खुश होकर बीजेपी के लोग आपके वेतन का पैसा देने को तैयार हो जाए मुझे बहुत खुशी होगी कि मैं आपके काम आ सका. आपकी मांगें जायज हैं और संघर्ष में आपके साथ हैं. आपका कपिल मिश्रा.एमसीडी के अस्पतालों में सिर्फ़ इमरजेंसी सेवायें दी जा रही हैं. एमसीडी स्कूल के टीचर भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल की वजह से स्कूलों में पढ़ाई ठप है, अस्पतालों में इलाज में रुकावट है, सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही दी जा रही है.

एमसीडी कह रहा है कि पैसा बकाया है लेकिन सरकार कह रही है कि हम तो 12 महीने का पैसा पहले ही दे चुके हैं. इस झगड़े की वजह से दिल्ली कूड़े के ढेर पर बैठी हुई है. दिल्ली सरकार और नगर निगम के बीच वो झगड़ा क्या है ये समझने की कोशिश करते हैं?पहला दिल्ली सरकार, दूसरा दिल्ली के तीनों नगर निगम और तीसरा इन दोनों की लड़ाई में सबसे ज्यादा परेशान होने वाला वह सफाई कर्मचारी जिसे चार महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है.

2012 में तब की शीला सरकार ने नगर निगम का तीन टुकड़ों में बंटवारा कर दिया था. तीनों निगम पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है.
दिल्ली सरकार कहती है कि निगम को पैसे दिए जा चुके हैं जबकि दिल्ली नगर निगम कह रही है कि दिल्ली सरकार पर उनका करोड़ों बकाया है. एमसीडी को पैसे मिल तो रहे हैं लेकिन वह पूरे नहीं पड़ रहे हैं.

2012-13 में दिल्ली सरकार का बजट 36 हजार करोड़ था. तब दिल्ली नगर निगम के लिए 3128 करोड़ यानि दस फीसदी के आसपास पैसा दिया गया. साल 2015-16 में दिल्ली सरकार का बजट 41 हजार 129 करोड़ हो चुका है. लेकिन एमसीडी को 2457 करोड़ दिए गए यानी करीब छह फीसदी के आसपास मतलब दिल्ली सरकार का बजट तो बढ़ा लेकिन एमसीडी का नहीं.

तीनों एमसीडी जब अपना बजट तैयार करती है तो उसमें तीसरे वित आयोग के पैसे, ग्लोबल टैक्स और म्यूनिसिपल रिफॉर्म के पैसे को भी जोडती है लेकिन एमसीडी के मुताबिक दिल्ली सरकार इन सबको दर किनार कर अपने हिसाब से बजट तैयार कर पैसे देती है. जो नियम और जरूरत दोनों के लिहाज से बहुत कम है.

एमसीडी के मुताबिक दिल्ली सरकार से तीसरे वित आयोग के 2,970 करोड़ रुपए मिलने है जो अब तक नहीं मिले है. जबकि दिल्ली सरकार का दावा है कि एक भी पैसा बकाया नहीं है.मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली नगर निगम द्वारा लिए गए पहले के 6000 करोड़ रुपए पर ना तो दिल्ली सरकार ने इस साल कोई ब्याज लिया है ना ही पैसे मांगे है.