
नई शिक्षा नीति (New education Policy) के तहत सभी स्कूली शिक्षा तथा उच्च शिक्षा के साथ-साथ कृषि, कानूनी, चिकित्सीय और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं (Vocational Teachings) को भी इसके दायरे में लाया जा रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को पढ़ाई के साथ- साथ किसी लाइफ स्किल से सीधे जोड़ना है। अब तक किसी कारणवश अगर किसी की पढ़ाई बीच में छूट जाती थी, तो उसे डिग्री नहीं मिलती थी। अब यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी कारण से पढ़ाई बीच में छूट जाती है तो उसे मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत इसका लाभ मिलेगा। मतलब अगर आपने एक साल पढ़ाई की है तो सर्टिफिकेट (Certificate), दो साल की है तो डिप्लोमा मिलेगा। तीन या चार साल के बाद डिग्री (Degree) दी जाएगी।
केंद्र सरकार (central government) ने अब यह निर्धारित किया है कि जीडीपी का कुल 6 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च होगा। फिलहाल भारत की जीडीपी का 4.43% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस नीति में आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खास जोर दिया है। इस नई नीति के तहत व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है।