अगस्त से ई-कॉमर्स कंपनियां को लिखना होगा उत्पादक देश का नाम

इस वर्ष अगस्त से ई-कॉमर्स कंपनियों (E-Commerce Companies) को यह जानकारी देनी आवश्यक होगी कि जो सामान वे बेच रही हैं वो भारत में बना है या किसी और देश से आया है। अभी कई सामान के पैकेटों पर यह नहीं लिखा होता है कि उस सामान का उत्पादन कहां हुआ है। उद्योग एवं आंतरिक कारोबार संवर्धन विभाग की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को जुलाई के आखिर तक प्रोडक्ट पर सोर्स दर्शाना शुरू करने के लिए कहा गया है। इस संबंध में विभाग ने अभी तक कोई अधिकारिक निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन चीन से आयात रोकने और ‘मेक इन इंडिया (Make in India)’ के प्रोत्साहन के लिए विभाग जल्द से जल्द इस पर काम शुरू  करना चाहता है। बुधवार को इस संबंध में ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अधिकारियों की बैठक हुई थी। लगभग 15 दिन पहले भी इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक की गई थी। सूत्रों के मुताबिक अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार के सामने यह दलील रखी कि उनके प्लेटफार्म पर 15 करोड़ से अधिक विक्रेता हैं और इतने कम समय में सभी विक्रेताओं द्वारा अपने प्रोडक्ट पर सोर्स को दर्शाना आसान नहीं होगा। कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनके कच्चे माल कई देशों से आते हैं और फिर उसे भारत में असेंबल किया जाता है। फिलहाल बैठक में यह बात साफ हो गई है कि भारत में असेंबल होने वाले प्रोडक्ट को ‘मेक इन इंडिया’ की श्रेणी में ही रखा जाएगा। आयातित सामान पर पहले से ही सोर्स होता है। बैठक के दौरान स्वदेशी या मेक इन इंडिया के लिए किसी प्रकार के रंग के इस्तेमाल की चर्चा नहीं की गई है।