
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इस बार एक अलग तरह का नजारा 900 साल बाद देखने को मिलेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान वलयाकार (एन्युलर) स्थिति की अवधि 30 सेकंड तक ही रहने के कारण सौर वैज्ञानिक इसे दुर्लभ सूर्यग्रहण (Rare solar eclipse) मान रहे हैं। उस समय सूर्य एक छल्ले की तरह नजर आएगा। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक व पूर्व निदेशक डॉ बहाबउद्दीन (Dr. Bahabuddin) ने बताया है कि 21 जून को ग्रहण सुबह 9:16 पर लगना शुरू हो जाएगा और 12:10 पर पूर्ण रूप से सूर्य वलयाकार दिखाई देने लगेगा। इस बार के सूर्य ग्रहण की जो स्थिति बनने जा रही है, उसी को ध्यान में रखते हुए इसे दुर्लभ ग्रहणों में शुमार किया गया है। इसकी वजह यह है कि सूर्य व चंद्रमा के बीच की दूरी ग्रहण के दौरान सूर्य पृथ्वी से दूरस्थम स्थिति यानि 15,02,3 5,882 किलोमीटर दूर होगा। जबकि चंद्रमा भी 3,91,482 किलोमीटर दूरी से अपने पद से गुजर रहा होगा। इसका मतलब यह है कि यदि चंद्रमा पृथ्वी से और नजदीक होता तो यह पूर्ण सूर्यग्रहण बन जाता। वहीं अगर सूर्य थोड़ा और नजदीक होता तो ग्रहण का स्वरूप भी कुछ भिन्न होता।परंतु यह ग्रहण वलयाकार का लगने जा रहा है, जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाएगा। चंद्रमा करीब 30 सेकेंड के लिए ही सूर्य के अधिकांश हिस्से को ढक पाएगा। इस दौरान सूर्य का आखरी हिस्सा एक रिंग के समान नजर आएगा। 30 सेकेंड बाद ग्रहण छटना शुरू हो जाएगा।