

ब्रिटिश अखबार ‘संडे टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक वाज ने वीजा और आव्रजन मामलों की महानिदेशक सारा रैप्सन को पत्र लिखकर ललित मोदी के मसले को जल्द से जल्द निपटाने को कहा था। वाज उस वक्त कॉमन सभा के गृह मामलों की प्रवर समिति के अध्यक्ष थे। रैप्सन के विभाग की जांच की जिम्मेदारी उनकी ही थी। भारतीय मूल के सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले वाज ने मोदी के मामले में हितों के टकराव के आरोप को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि मोदी के मामले को उन्होंने सामन्य तरीके से ही निपटाया था। समाचारपत्र के मुताबिक पत्र में वाज ने आव्रजन विवाद में फंसे मोदी को मदद का प्रस्ताव दिया था। कंजरवेटिव सांसद एंड्रयू ब्रिजन ने वाज के खिलाफ जांच की मांग की है।