प्रदेश के बीएड कॉलेजों में ऐडमिशन के लिए चल रही संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड की काउंसलिंग विश्वविद्यालयों की लापरवाही के कारण अटक गई है। सीटों की वास्तविक संख्या व कॉलेजों के पूरे नाम न आने की वजह से मामला अटका हुआ है। वहीं, एनआईसी की लापरवाही से आधे से ज्यादा कैंडिडेट्स चॉइस लॉक ही नहीं कर पाए हैं। इसके कारण भी अफसरों की टेंशन बढ़ी हुई है। लापरवाही की वजह से बीएड में चॉइस लॉकिंग की डेट्स बढ़ानी पड़ीं लेकिन ये दिक्कत मंगलवार को भी बरकरार रही।
बीएड काउंसलिंग 5 जून से प्रदेश के 19 काउंसलिंग सेंटर्स पर शुरू हुई थी। पहले दिन सर्वर की कनेक्टिविटी गायब रही। वहीं, 6 से 9 जून तक चॉइस लॉकिंग की प्रक्रिया फंसी रही। वैरिफिकेशन कराने वाले आधे से ज्यादा कैंडिडेट्स को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) ही नहीं जारी हो सके थे। पहले सोमवार को यूनिवर्सिटी 5 व 6 जून के बीच वैरिफिकेशन कराने वाले कैंडिडेट्स का अलॉटमेंट जारी करने वाली थी लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण वैरिफिकेशन कराने वाले करीब 10 हजार कैंडिडेट्स में से केवल 6 हजार ही चॉइस भर सके थे। 4 हजार कैंडिडेट्स के तो ओटीपी ही नहीं जारी हो सके थे। सोमवार को दिन भर अफसर गड़बड़ी दूर करने की कोशिश करते रहे, लेकिन मामला सुलझाया नहीं जा सका। मंगलवार तक डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन कराने वाले करीब 25 हजार कैंडिडेट्स में से केवल 9 हजार ही अपनी चॉइस भर सके। हालांकि इस संख्या में करीब 5 हजार कैंडिडेट्स ने मंगलवार को वैरिफिकेशन कराया था। एनआईसी की तकनीकी खामी इसकी वजह बनी हुई है। इसके कारण ही चॉइस लॉक नहीं हो पा रही है। इससे अधिकारी भी टेंशन में हैं।
सीटों की सही जानकारी तक नहीं
लखनऊ यूनिवर्सिटी को छोड़ दें तो किसी भी विश्वविद्यालय ने अभी तक बीएड की सही सीटों का आंकड़ा नहीं दिया है। कई कॉलेजों की सीटें एनसीटीई के नए नियमों के कारण घट गई हैं। इस वजह से भी दिक्कत आ रही है। काउंसलिंग के पहले ही दिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी के 9 एडेड बीएड कॉलेजों के नाम हटा दिए गए। यह रजिस्ट्रार के निर्देश पर हुआ जबकि आवेदन प्रक्रिया शुरू करते समय ब्रोशर में इन कॉलेजों का बाकायदा नाम तक छापा गया था। अचानक हुए बदलाव के बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स ने हंगामा भी किया था। सही सीट मैट्रिक्स न आने की वजह से भी चॉइस लॉकिंग की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। इस कारण भी चॉइस लॉकिंग की प्रक्रिया अटकी हुई है।