
सोशल मीडिया पर कुछ दिनों पहले एक तस्वीर ने काफी सुर्खियाँ बटोरी। इसमें दिखाया गया था कि एक चारदीवारी पर सेब से भरे कई थैले लटके हुए थे। इसमें यह दावा किया गया कि यह नार्वे की एक नार्वे की एक प्रथा है। जब सेबों का जरूरत से ज्यादा उत्पादन हो जाता है, तो वहाँ के लोग ऐसी ही चारदीवारियों पर सेबों की थैली टाँग देते हैं, जिससे गरीब, बेघर, भूखे और असहाय लोग इसका उपभोग कर सकें। सुर्खियाँ बटोर रही इस तस्वीर की जब जाँच की गई तो पता चला कि ऐसा पूरे नार्वे में नहीं होता, बल्कि एक स्थानीय महिला द्वारा ऐसा किया गया। बाग़ में जरूरत से ज्यादा सेब होने पर उसने सेबों को थैलियों में डालकर एक चारदीवारी पर टाँग दिया, ताकि कोई जरूरतमंद उनका उपभोग कर सकें। इस प्रकार से जाँच में यह दावा गलत निकला कि पूरे नार्वे में सेबों को थैली में डालकर एक चारदीवारी पर लटकाना एक प्रथा है।