रावण के गिरते ही पृथ्वी हिलने लगी थी श्रीरामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने 31 बाण एक साथ रावण को मारे थे। इन 31 बाणों में से एक बाण रावण की नाभि पर लगा, बाकी 30 बाणों से उसके 10 सिर और 20 हाथ धड़ से अलग हो गए। जैसे ही रावण का विशाल धड़ पृथ्वी पर गिरा तो पृथ्वी हिलने लगी थी।
मंदोदरी हो गई थी बेहोश श्रीराम के 30 बाणों से रावण के सिर और हाथ कट गए थे। रामजी के बाणों ने रावण के सिरों और हाथों को मंदोदरी के सामने छोड़ दिया। यह देखकर मंदोदरी बेहोश हो गई थी। रावण की मृत्यु के बाद विभीषण बहुत दुखी हो गए थे। यह देखकर श्रीराम के कहने पर लक्ष्मण ने विभीषण को समझाया कि दुख न करें। विभीषण शांत हुए और वे श्रीराम के पास पहुंचे। श्रीराम ने विभीषण से कहा कि रावण की अंतिम क्रिया विधि-विधान से करो। इसके बाद रावण का अंतिम संस्कार विभीषण ने कर दिया।
रावण का अंतिम संस्कार होने के कुछ समय बाद श्रीराम ने लक्ष्मण, हनुमानजी, सुग्रीव, अंगद, नल, नील, जाम्बवान् आदि को बुलाया और विभीषण का राजतिलक करने का आदेश दिया। श्रीराम का वनवास चल रहा था, इस कारण उन्होंने लंका नगर में प्रवेश नहीं किया था और अन्य लोगों के द्वारा ही विभीषण का राजतिलक करवा दिया था।