देशभर को हिलाकर रख देने वाला बेहमई हत्याकांड के 39 साल बाद अदालत आज इस पर फैसला सुना सकती है। 14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में 20 ग्रामीणों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून डाला था। मरने वालों में से 17 ठाकुर जाति के थे। बताया जाता है कि फूलन देवी ने अपने साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बदले के रूप में इस घटना को अंजाम दिया था। इस कांड के बाद 1983 में फूलन ने अपने आप को कानून के हवाले कर दिया था। वहीं बाद में वह मिर्जापुर से सांसद बनी थीं। फिर 2001 में दिल्ली स्थित उनके घर के सामने गोली मार कर फूलन की हत्या कर दी गई थी।