इस बार मामला महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की नियुक्ति और डीडीए अधिकारी को घूस लेते पकड़ने का है।
राजनिवास से भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि स्वाति मालीवाल को महिला आयोग की अध्यक्ष बनाने और अन्य सदस्य बनाए जाने के मामले में उपराज्यपाल की स्वीकृति नहीं ली गई।
इसलिए यह नियुक्ति उचित नहीं है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सेवा सचिव और गृह सचिव की नियुक्ति पर भी उपराज्यपाल वीटो लगा चुके हैं। हालांकि दोनो प्रधान सचिवों का अपने-अपने पद से ट्रांसफर हो चुका है। हालांकि महिला आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर आपत्ति उठाने वाली ये चिट्ठी उस वक्त सामने आई है जब केजरीवाल और एलजी के बीच रिश्ते सामान्य होते नजर आ रहे थे।
इस बीच मनीष सिसोदिया ने डीडीए के जिस कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़ने के बाद एफआईआर दर्ज नहीं करने की बात कही है वह मामला सीधे तौर पर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकार क्षेत्र का है।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कर रखा है कि दिल्ली सरकार के अधिकार सीमित हैं तो फिर अधिकारी डीडीए तक क्यों पहुंचे। उपराज्यपाल खुद डीडीए के मुखिया हैं, ऐसे में पुख्ता सबूत के बिना दिल्ली पुलिस भी एफआईआर क्यों करेगी?