
इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 (jeevitputrika fast) नहाय खाय आज, 17 सितंबर, जबकि निर्जला उपवास (anhydrous fasting) 18 सितंबर को रखा जा रहा है। महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया। तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया। इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। तभी से माताएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना से करने लगीं। इस पर्व को जीवित्पुत्रिका, जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत, लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पुत्र की सलामती एवं उनके जीवन की मंगल कामना के साथ महिलाएं रविवार को कठिनतम व्रतों में से एक जिउतिया व्रत करेंगी।