ओएफसी में विकसित धनुष तोप, बोफोर्स तोप से भी बेहतर बताई जा रही है। आने वाले समय में यह बोफोर्स तोप की जगह लेगी। बोफोर्स की बैरल सात मीटर की थी और इसकी मारक क्षमता 28 किलोमीटर थी, जबकि धनुष के बैरल की लंबाई आठ मीटर और मारक क्षमता 45 किलोमीटर है इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक्सपर्ट के मुताबिक इसे तैयार करने में तीन यूनिटों का महत्वपूर्ण रोल होता है, इनमें गनशॉप, जीसी और गन थ्री हैं। गनशॉप में बैरल की असेम्बलिंग की जाती है साल 2000 में ओएफसी ने बोफोर्स की बैरल अपग्रेड करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिया था। आर्डिनेंस फैक्ट्री ने देश में पहली बार सात मीटर लंबी बैरल बनाई, जिसे 2004 में सेना ने मंजूरी दी। बैरल पास होते ही तोप बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है, इसके बाद 2011 में बोफोर्स तोप की टेक्नोलॉजी और भारत में इसे बनाने की मंजूरी देने के लिए स्वीडन की कंपनी ने 63 महीने का वक्त मांगा। इस बीच ओएफसी ने भी तोप बनाने का प्रस्ताव सेना को दिया। सेना ने 18 महीने का वक्त दिया। ओएफसी और डीआरडीओ ने रिकार्ड समय में बेहतर नई तोप बनाकर सेना को सौंप दी। सेना को देने से पहले दो हजार राउंड फायर किए गए, सेना ने भी सियाचिन और राजस्थान में 1500 राउंड फायर करने के बाद इसे बेड़े में शामिल कर लिया।