![guldasta-a-kavvali](https://www.news15.in/wp-content/uploads/2020/01/guldasta-a-kavvali-696x464.jpg)
बीते दौर में क़व्वाली का बहुत महत्व था, पर आज इसका दायरा थोड़ा सीमित हो गया है, या यूँ कहिए कि लगभग समाप्त-सा हो गया है। ऐसे ही सूफी संग्रह के इतिहास को समेटे हुए ‘गुलदस्ता-ए-क़व्वाली’ नामक हिंदुस्तानी और फारसी सूफी कलामों का यह संग्रह दो भागों में प्रकाशित हुआ है। पहले भाग में वर्ष 858 से 1996 तक की फारसी भाषा में 50 सूफी-संतों की रचनाओं को देवनागरी में शानदार और सरल तरीके से बताया गया है। वहीं, दूसरे हिस्से में 13वीं सदी से अब तक के हिंदुस्तानी सूफी कलामों का संग्रह है। इसमें क़व्वाली के इतिहास और स्थापत्य को भी वर्णित किया गया है। इस संकलन में संपादक सुमन मिश्र ने क़व्वाली, उसका इतिहास और दायरे को ऐतिहासिक तरीके से बताया है।